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स्कूल की ओ लडकी


स्कूल की लड़की-भाग दो --- विद्यालय का पहला दिन
जैसा कि आपने पढ़ा था कि अरुण का गांव के सरकारी स्कूल में नामांकन हुआ और जब ओ अपनी कक्षा में पहुंचा तो उसे कक्षा में लगे अंतिम बेंच पर बैठना पड़ा और सभी बच्चे उस पर हंस रहे थे अब आगे.............
विद्या,कला, कविता, साहित्य और धन को प्राप्त करने वाले ज्ञान का जो स्रोत है वो है विद्यालय। यहां पर मन लगाकर पढ़ने पर आप जिस भी विषय में रुचि रखते हैं चाहे साहित्य, इतिहास, संगीत आदि कोई भी विषय क्यों न हों आपको उसमें अद्भुत सिद्धी प्राप्त होती है।
यहीं पर हम ज्ञानवर्धक व्याख्यानों को सुनकर आचरण की उपयोगिता को समझते हैं , तथा नम्रता ,दया, प्रेम और उदारता का भाव माता के बाद यदि हमें कोई सिखाता है तो वो विद्यालय है।
विद्यालय कोई ईंट पत्थर से बना कोई घर नहीं है । विद्यालय का वास्तविक अर्थ है- विद्या का घर विद्यालय यदि विशाल वृक्ष है तो अनुशासन इसकी जड़ें हैं,ज्ञान और आचरण तना है, शाखाएं अध्यापक हैं, विनम्रता,विवेक,सौम्य भाव, और एकता टहनियां हैं और छात्र इसमें लगे पत्ते की भांति हैं यदि कोई एक नहीं है तो वो विद्यालय नहीं हैं।
आज अरुण का विद्यालय में पहला दिन था और अरुण के मन में इस वक्त अनेकों द्वन्द चल रहे थे कि वो कहां आकर फंस गया? अक्सर जब हम कहीं ऐसे किसी जगह पर होते हैं जिससे हम बिल्कुल अंजान हों तो एक अजीब सी बेचैनी हमें घेर लेती है।
जो बातें जो विचार हम शताब्दियों में नहीं सोच सकते वें सारे विचार एक साथ हमारे मन को झकझोरने लगते हैं,हमें कपकपाहट सी होने लगती है।
अब प्रश्न होगा भाई ऐसा क्यों?
क्योंकि जब कोई व्यक्ति चाहे ओ कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो जब वो ऐसे वातावरण में पहुंचता है जो उसकी पिछली दिनचर्या के बिल्कुल प्रतिकूल हो और वहां उसके परिचय का कोई न हो तो उसकी अवस्था नवजात शिशु के भांति हो जाती है और यही अवस्था अरुण की भी थी।
अरुण ऐसा सोच ही रहा था कि तभी अचानक उसके कक्षा के प्रथम पाली के अध्यापक आ पहुंचे।
वैसे तो उनका नाम महेश गुप्ता था किंतु अजीब बर्ताव और मजाकिया स्वभाव के कारण बच्चे उन्हें गणित वाले गुरु जी बुलाते थे भयवश उनका नाम तक नहीं लेते थे।
उनके कक्षा में पहुंचते ही सारे बच्चे खड़े हो गये अरुण और सभी बच्चों ने गुरु जी का अभिवादन किया और फिर अपनी सीट पर बैठ गये। हालांकि अरुण कुछ दिन बाद आया था किंतु उसे गणित आती थी और गुरु जी जो पाठ पढ़ा रहे थे वो भी उसे पूरी तरह से समझ आ रही थी ।
तभी अचानक गुरु जी ने एक छात्र को बुलाया और एक सवाल देकर उसे श्यामपट्ट पर लगाने को कहा।
उस छात्र ने जब सवाल का उत्तर श्यामपट्ट पर लिख दिया तो गुरु जी ने पूछा - कि कौन बतायेगा की ये उत्तर सही है या नहीं और इसके लिए उन्होंने अरुण को खड़ा कर दिया कि वो आकर बताते कि ये उत्तर सही है या नहीं? 
एक तो अरुण पहले से ही बेचैनी महसूस कर रहा था अचानक इस प्रश्न से उसके अंदर भय की लहर दौड़ने लगी ।
दरअसल बात ये है कि जब हम प्रतिदिन किसी निश्चित वस्तु को देखते हैं और यदि उनमें कोई भिन्न रख दी जाय तो हमारी निगाह उसी भिन्न वस्तु पर स्वतः ही चली जाती है यही कारण था कि गुरु जी ने अरुण को खड़ा किया।
जब अरुण भी खुद को सम्हाल कर श्यामपट्ट की ओर बढ़ा तो सभी बच्चे उसे ध्यान से देखने लगे। कुछ देर सवाल के उत्तर को देखने के बाद अरुण बोल बैठा कि गुरु जी ये उत्तर गलत है इतना सुनते ही कक्षा के सभी छात्र ठहाके मारकर हंसने लगे दरअसल ये एक गणित के स्थानीयमान का प्रश्न था और उसमें सैकड़े का जवाब लिखना था तो गुरु जी ने पूछा-
गलत क्यों है? अरुण ने उत्तर दिया-- आपने सैकड़े का जवाब लिखने के लिए कहा है और इसमें दहाई का लिखा हुआ है ये सुनकर बच्चे फिर से जोर जोर से हंसने लगे ‌।
तब गुरु जी घूरते हुते बोले और ये अंतिम में लिखा एक तुम्हें दिखायी नहीं दे रहा है जो इसे दहाई बोल रहे हो ।
अरुण बोला-- पर गुरु जी ये तो एक नहीं है और मैंने ऐसी गिनती देखी भी नहीं है।
गुरु जी बोले--- अंधे हो क्या जो दिखाई नहीं दे रहा है और इतना कहकर हंसने लगे साथ में कक्षा के सभी बच्चे भी हंस पड़ें ।
अरुण विचलित मन से स्तब्ध होकर संख्या लिखने की ऐसी विधा को देख रहा था जो न तो हिंदी(१) और न ही अंग्रेजी में (1) में लिखे जाने की विधा थी वहां पे एक पाई खींची थी(।) जिसे अरुण ने कभी अपने गणित के सवालों को हल करने के लिए प्रयोग नहीं किया था।
तभी अचानक स्कूल की दूसरी घंटी बजी और गणित के अध्यापक चले गये उनके जाते ही अरुण के जान में जान आयी लेकिन तब तक पूरी कक्षा में सन्नाटा फैल चुका था सभी बच्चे सर नीचे किये अपनी अंग्रेजी का पुस्तक निकाल कर पढ़ने लगे ।
अरुण को अपने बगल के साथी से पता चला कि ये पाली अंग्रेजी वाले गुरु जी की है इनका पूरा नाम --जगदम्बिका प्रसाद ओझा है , ये शान्त स्वभाव के साथ बड़े उग्र हैं मानों आग और पानी एक ही जगह पर रखा हो हर समय आराम से बोलते हैं लेकिन गुस्सा आने पर बेंत की छड़ी से मारने में भी नहीं हिचकते हैं।
गुरु जी आये और जब तक उन्होंने पढ़ाया तब तक किसी बच्चे ने कुछ नहीं कहा और ये पाली ऐसे ही बीत गयी, धीरे-धीरे सभी पालियां बीततीं गयीं और अरुण का मनोबल बढ़ता गया सामान्य ज्ञान , संस्कृत,और विज्ञान के अध्यापकों द्वारा पूछे गये कठिन प्रश्नों पर अरुण के दिये गये उत्तर को सुनकर सभी बच्चों ने दांतों तले उंगली दबा ली थी ।
जैसे ही अंतिम पाली आयी अर्थात जिस पाली में हिंदी पढायी जाती थी तो सभी बच्चों के पसीने छूटने लगे बात करने पर अरुण को पता चला कि हिंदी विषय की अध्यापिका ने कल सभी बच्चों को पाठ याद करने का कार्य दिया था जिसके आधार पर आज वो सभी बच्चों से व्याकरण के प्रश्न पूछने वालीं हैं ।
ये सुनकर अरुण अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसका सबसे प्रिय विषय उसके समक्ष था अब पूर्ण रुप से अरुण का आत्मविश्वास जाग चुका था ।
जैसे ही अध्यापिका कक्षा में पधारीं तो अरुण के साथ सभी बच्चों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया अध्यापिका बहुत ही अच्छी थीं और कभी कभार बच्चों के गलती पर ही उन्हें दण्डित करती थीं इसलिए बच्चे उन्हें ज्यादा पसंद करते थे।
किंतु आज कक्षा में सन्नाटा था फिर भी कुछ बच्चों में जोश की कोई कमीं नहीं थी संभवतः वो अपना पाठ पूरी तरह से याद करके आये थे।
अध्यापिका ने वर्तमान स्थिति को भांपते हुये बच्चों को छूट दी की जिसे उत्तर पता हो ओ ही खड़ा होकर जवाब दे सकता है जब तक कोई एक बच्चा बोलेगा तब तक बाकी सभी बच्चे मौन रहेंगे।
उन्होंने प्रश्न किया कि-- विशेषण की विशेषता बताने वाले को क्या कहते हैं?
सभी बच्चे इस प्रश्न को सुनकर सन्न हो गये शायद उन्होंने कल्पना नहीं की होगी कि ऐसा प्रश्न पूछा जा सकता है।
तभी पीछे से एक हाथ उठा तो सभी बच्चे पीछे देखने लगे वो कोई और नहीं अरुण था अध्यापिका की अनुमति लेकर अरुण ने उत्तर दिया ----- विशेषण की विशेषता बताने वाले को प्रविशेषण कहते हैं।
ये सुनकर सभी बच्चे बगल में झांकने लगे उसके बाद तो सभी प्रश्नों के उत्तर सटीक रुप से अरुण ने देनी प्रारम्भ कर दी अध्यापिका महोदया के प्रश्न जब तक पूरे होते तब तक अरुण उत्तर दे देता था।
अध्यापिका आश्चर्यचकित थीं तथा सभी बच्चे आवाक होकर अरुण को देख रहे थे ...............
लेखक---- अरुण कुमार शुक्ल 
आशा करते हैं की मेरे उपन्यास स्कूल की ओ लडकी का ये दूसरा भाग--( विद्यालय का पहला दिन ) पसंद आया होगा आप इसे अपने सभी ग्रुप और मित्रों के साथ सांझा करें धन्यवाद
अगला भाग जल्द ही प्रकाशित होगा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏




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10 Comments

Chetna swrnkar

17-Aug-2022 08:15 PM

Bahot khub

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Seema Priyadarshini sahay

17-Aug-2022 05:17 PM

बेहतरीन

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Abhinav ji

17-Aug-2022 08:52 AM

Nice

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